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जनता पर महंगाई की मार

आज के दोर में जहाँ रोजगार कम हो रहे हैं, वेतन कम मिलने लगा है, वहीं बाजारों में चीजें महंगी होती जा रही है पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रही है, पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी अपने वोट और जेब भरने में लगी हुई है। मजदूर शहरों को छोड़कर गाँव जा बसे हैं, कई कारखाने बंद हो चुकें है, जहां सभी मजदूर काम करते थे। इन सब बातों से सरकार को तो कोई फर्क़ नहीं पड़ा पर आम जनता एक बार फिर महामारी से छूट महंगाई के चंगुल में फंस गई है। देश की जनता जनता जिस मुश्किल दोर से से गुजर रही है वह सिर्फ एक आम आदमी ही समझ सकता है, जो एक वक़्त की रोटी के लिए सड़क पर मजदूरी कर आपने परिवार का भरन पोषण करता है, ना कि वह लोग जो इस देश को बचाने में लगे है और ना वह मीडिया जो भ्रष्ट नेताओं के हाथों बिक चुकी है। जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है वह स्तम्भ भी आज टूटने की कगार पर है। महंगाई को बढ़ने से रोकने में जनता ही आपना योगदान दे सकती है, पर कुछ लोगों को लगता है आज की सरकार जो कर रही है वह सब सब सही है वह उनके भले के लिए है, जबकि यह सब सच नहीं है, सच तो यह है कि सरकार एक अच्छा काम कर दस बुरे काम करती जा रही है...

कोरोना काल में भारत

देश में मातम था छाया, खुशियाँ थी घर में कैद हुई, बेघर हुए थे मजदूर सभी।  चौकंने थे आमिर अभी,  भगवान के घर थे बंद सभी।  अस्पतालों में थी कतारें लगी,  भूल गए मन्दिरों को भी,  पूजे जाने लगे डॉ. सभी।                                         शिवानी 

कविता

दोस्तो में हम इतने मशरूफ थे, इस दुनिया से भी हम दूर थे। क्या तोड़ती हमे ये दुनिया, हम तो इस दुनिया के अंजाम से भी दूर थे।                                                               शिवानी 

stri

स्त्री तो आपने आप में ही पूर्ण है उसे किसी का सहारा नहीं चाहिए होता है। वही है जो पुरुष को भी जन्म देती है और एक स्त्री को भी फिर भी, उन्हें इस समाज में रहने के लिए एक पुरुष की आज्ञा की जरूरत होती है क्यूंकि एक स्त्री की सोच को आज भी पुरुष की आज्ञा की जरूरत होती है वह खुद के फेसले भी नहीं ले सकती अगर वह आवाज उठाती है,तो उन्हें यह कहा जाता है 'हमने तुम्हें अनुमती दे तो दी'। क्या स्त्री को इस तरह की आजादी की आवश्यकता है? क्या वह इस तरह आपने आप को ढूंढ पाएगी? किसी के फेसले पर निर्भर हो कर या खुद के फेसले अपनी इच्छा अनुसार ले कर आपनी पहचान बनायेगी? जब तक कोई भी स्त्री आपने फेसले ख़ुद से नहीं लेंगी तब तक ना वह आजाद होंगी और ना वह अपनी पहचान बना सकती है और ना ही कोई उनकी मदद कर सकता है क्यूंकि आज की दुनिया में सबको आपने लिए आवाज खुद उठानी पड़ती है।                                                         शिवानी