stri
स्त्री तो आपने आप में ही पूर्ण है उसे किसी का सहारा नहीं चाहिए होता है। वही है जो पुरुष को भी जन्म देती है और एक स्त्री को भी फिर भी, उन्हें इस समाज में रहने के लिए एक पुरुष की आज्ञा की जरूरत होती है क्यूंकि एक स्त्री की सोच को आज भी पुरुष की आज्ञा की जरूरत होती है वह खुद के फेसले भी नहीं ले सकती अगर वह आवाज उठाती है,तो उन्हें यह कहा जाता है 'हमने तुम्हें अनुमती दे तो दी'।
क्या स्त्री को इस तरह की आजादी की आवश्यकता है? क्या वह इस तरह आपने आप को ढूंढ पाएगी? किसी के फेसले पर निर्भर हो कर या खुद के फेसले अपनी इच्छा अनुसार ले कर आपनी पहचान बनायेगी? जब तक कोई भी स्त्री आपने फेसले ख़ुद से नहीं लेंगी तब तक ना वह आजाद होंगी और ना वह अपनी पहचान बना सकती है और ना ही कोई उनकी मदद कर सकता है क्यूंकि आज की दुनिया में सबको आपने लिए आवाज खुद उठानी पड़ती है।
शिवानी
Comments
Post a Comment