जनता पर महंगाई की मार

आज के दोर में जहाँ रोजगार कम हो रहे हैं, वेतन कम मिलने लगा है, वहीं बाजारों में चीजें महंगी होती जा रही है पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रही है, पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी अपने वोट और जेब भरने में लगी हुई है। मजदूर शहरों को छोड़कर गाँव जा बसे हैं, कई कारखाने बंद हो चुकें है, जहां सभी मजदूर काम करते थे। इन सब बातों से सरकार को तो कोई फर्क़ नहीं पड़ा पर आम जनता एक बार फिर महामारी से छूट महंगाई के चंगुल में फंस गई है।
देश की जनता जनता जिस मुश्किल दोर से से गुजर रही है वह सिर्फ एक आम आदमी ही समझ सकता है, जो एक वक़्त की रोटी के लिए सड़क पर मजदूरी कर आपने परिवार का भरन पोषण करता है, ना कि वह लोग जो इस देश को बचाने में लगे है और ना वह मीडिया जो भ्रष्ट नेताओं के हाथों बिक चुकी है। जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है वह स्तम्भ भी आज टूटने की कगार पर है।
महंगाई को बढ़ने से रोकने में जनता ही आपना योगदान दे सकती है, पर कुछ लोगों को लगता है आज की सरकार जो कर रही है वह सब सब सही है वह उनके भले के लिए है, जबकि यह सब सच नहीं है, सच तो यह है कि सरकार एक अच्छा काम कर दस बुरे काम करती जा रही है, इन सब के बीच आम जनता पिस रही है जो बाजार से महंगी चीजों को खरीदने पर मजबूर है।

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